Wednesday, January 6, 2016

डॉ बाबासाहब और ओबीसी O.B.C. का रिश्ता ?'

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डॉ बाबासाहब और ओबीसी का रिश्ता ?''
इस देश में ओबीसी का 'संवैधानिक
जन्मदाता' और 'संवैधानिक रखवाला' कोई और
नहीं बल्कि " बाबासाहब डॉ आंबेडकर''
ही हैं !

1928 में बाम्बे प्रान्त के गवर्नर ने 'स्टार्ट' नाम के एक
अधिकारी की अध्यक्षता में
पिछड़ी जातियों के लिए एक कमिटी नियुक्त
की थी. इस कमिटी में डॉ.
बाबा साहेब आम्बेडकर ने ही शूद्र वर्ण से
जुडी जातियों के लिए " OTHER BACKWARD
CAST " शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किया था,
इसी शब्द का शार्टफॉर्म
ओबीसी है !!

जिसको सामाजिक और
शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई जाति के रूप में आज
हम पहचानते है और
उनको पिछड़ी जाति या ओबीसी कहते
है।
स्टार्ट कमिटी के समक्ष अपनी बात
रखते हुए डॉ. बाबा साहेब आम्बेडकर ने देश
की जनसंख्या को तीन भाग में बांटा था.

(1) अपरकास्ट(Upper cast) जिसमे ब्राह्मण,
क्षत्रिय-राजपूत और वैश्य जैसी उच्च वर्ण
जातियां आती थी

(2) बैकवर्ड कास्ट (Backward cast) जिसमे सबसे
पिछड़ी और अछूत बनायी गई जातियां और
आदिवासी समुदाय की जातियों को समाविष्ट
किया गया था ।

(३) जो जातियाँ बैकवर्ड कास्ट और अपर कास्ट के बीच
में आती थी ऐसी शूद्र वर्ण
की मानी गई जातियों के लिए Other
backward cast शब्द का प्रयोग किया गया था,
जिसको शोर्टफॉर्म में हम
ओबीसी कहते है.

बाबासाहब ने ही संविधान के अनुच्छेद 340
धारा में ओ0बी0सी0 को पहचान
उनकी गिनती कर,
उनको उनकी संख्या के अनुपात में जातिगत आरक्षण
का प्रावधान किया !

क्योंकि उस समय तक
ओ0बी0सी0 की जातियों की सूची
ही नही बनी थी।

बाबासाहब ने
ही ओ0बी0सी0 के लिए निर्मित संविधान के अनुच्छेद 340 को लागू कराने
का दबाव ब्राह्मणी कांग्रेस पर डाला !! 

पर ब्राह्मणी कांग्रेस के ब्राह्मण
प्रधानमन्त्री नेहरू इसके लिए तैयार नहीं हुए।

इसीलिए बाबासाहब ने अपने कैबिनेट
मंत्री पद और ब्राह्मणी कांग्रेस
दोनों से इस्तीफा दे डाला

ओ0बी0सी0 के लिए कैबिनेट के मंत्रीपद
को लात मारनेवाले भारत के एक मात्र नेता ' 'बाबासाहब डॉ आंबेडकर''
ही है !!

पर यह बात आज तक ओबीसी से ब्राह्मणों ने
छुपायी
बाबा साहेब के दबाव एवं संवैधानिक बाध्यता के कारण ही बाद में ब्राह्मण
नेहरू ने ब्राह्मण जाति के काका कालेलकर आयोग का गठन
ओ0बी0सी0 की जातियों को पहचान
के लिए बनाया --

संविधान के अनुच्छेद 340 के अनुसार राष्ट्रपति एक
कमीशन नियुक्त करेंगे और कमीशन
ओ0बी0सी0 जातियों की पहचान
कर के उनके विकास के लिए जो सिफारिशें करेगा उनको अमल में
लाया जाएगा।

संविधान के अनुच्छेद 15-(4), 16(4) के
अनुसार ओ0बी0सी0 जातियों के
सरकारी तन्त्र में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए सरकार
उचित कदम उठाएगी.

शासन और प्रशासन में प्रभुत्व जमाये बैठे
ब्राह्मणी जातिवादियों ने
ओ0बी0सी0 के लिए नियुक्त
काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट को संसद की समक्ष
भी नहीं रखा और कालेलकर
कमीशन की रिपोर्ट
को कभी भी मान्यता नहीं दी या लागू
नहीं किया गया।

1978 में केन्द्र सरकार ने ओबीसी जातियों की पहचान और उनकी उन्नति की सिफारिशों के
लिए दूसरा कमीशन
बी0पी0 मंडल
की अध्यक्षता में नियुक्त किया।

मंडल कमीशन रिपोर्ट-1980 को भी सत्ता मे
प्रभुत्व जमाये बैठे जातिवादियों ने लागू करने की जरुरत
न समझी और 1990 तक मंडल कमीशन की रिपोर्ट सचिवालय
की अलमारी में धूल खाती रही।

7 अगस्त 1990 के दिन प्रधानमन्त्री वी0पी0 सिंह की केन्द्र सरकार ने देश के 52 %
ओबीसी समुदाय के लिए मंडल
कमीशन की सिफारिशों के
अनुसार केन्द्रीय नौकरियों में 27 %
ओ0बी0सी0 आरक्षण लागू करने
की घोषणा की,

जिसके विरोध में ब्राह्मणों ने देशभर में मंडल विरोधी आंदोलन प्रारंभ
किया।

इस प्रकार एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत बाबा साहेब डॉ आम्बेडकर को पिछड़े वर्गों का विरोधी बताया जाता है ताकि सदियों से शोषित सम्पूर्ण शूद्र समाज (ओ0बी0सी0 + एस0सी0/एस0टी0) को आपस में लडा कर मलाई काटी जा सके।

और उत्तर प्रदेश में यह काम इन्होंने बखूबी अंजाम दिया है।

अब समय आ गया है कि इनके षडयंत्र को समझते हुए आपस में एकता बनाएं और सम्पूर्ण SC, ST, OBC समाज को मजबूत करें।

यह सन्देश कम से कम 50 ओ0बी0सी0 भाइयों को भेजे। हम सबकी यह 
जीम्मेदारी बनती है।                         जय भीम जय भारत जय मुलनिवासी 🙏🌷

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