Sunday, January 10, 2016

ब्राह्मणो में व बहुजनों में क्या फर्क है?

ब्राह्मणो में व बहुजनों में क्या फर्क है?

ब्राह्मण लोग जिंदगी भर अपने उद्देश्य के लिए जिते है और उद्देश्य के लिए ही मरते है। इसलिए ब्राह्मण लोग किसी भी संगठन (RPI, BSP, SP, JDU, RASHTRAVADI, Congress, BJP, वगैरह) या व्यक्ति (ब्राह्मण हो या बहुजन हो) के नेतृत्व में आराम से काम कर सकते है। उन्हें कोई फर्क नहीं पडता; क्योंकि उनकी सारी निगाहें अपने उद्देश्य पर टिकी होती है, किसी व्यक्ति या संगठन पर नहीं! 

यही कारण है कि, ब्राह्मण लोग हमारे संगठनों में घुसकर भी हमें तबाह करने की ताकत रखते हैं। हमारे लोगों को लगता है कि, ब्राह्मण हमारा उद्धार करने के लिए हमारे संगठन में आया है। लेकिन,ऐसा नहीं होता है! वह खुद को जिताने के लिए और आपको तबाह करने के लिए आपके साथ संगठन में शामिल हुआ है। क्योकि, ब्राह्मणों का एकमात्र उद्देश्य होता है - खुद की कौम को ताकतवर बनाके देश का राजा बनना और बहुजनों को कमजोर करके हमेशा गुलाम बनाए रखना!

 हमारे लोग सिर्फ व्यक्ति व संगठन के लिए जीते है; उनका अपना कोई उद्देश्य नहीं होता; इसलिए जानवरों में और उनमें कोई अंतर नहीं होता है, क्योंकि जानवर भी सिर्फ जीते हैं, उनके जीवन का कोई भी उद्देश्य नहीं होता है।

उद्देश रहित लोग असमंजस स्थिति में रहते हैं। उन्हें अपना या पराया समझ में नहीं आता है। वे अपना सारा जीवन खुद के लिए और संगठन के लिए ही जीते हैं। अपना संगठन बढाने के लिए वे बाकी संगठनो से लडते रहते हैं। संगठन कितने भी रहे, लेकिन आपका उद्देश्य अगर समान होगा तो आप ताकतवर बनेगे और जीत आसान होगी। लेकिन, आपका उद्देश्य अगर अलग अलग हैं, तो फिर आप आपस में ही लडते लडते कमजोर होंगे। किसी और को आपके बारे में सोचने की भी जरूरत नहीं पडेगी। यही कारण है कि, ब्राह्मण लोग हमारे संगठनों को और हमारे आंदोलन को जरा भी तवज्जो नहीं देते हैं। वे जानते हैं कि, ये लोग दिशाहीन है ।

 इस तरह, उद्देश्यहिन और दिशाहीन बहुजन समाज आपस में ही लडते लडते कमजोर होता है, उनकी तरफ ध्यान देने की भी ब्राह्मणों को जरूरत महसूस नहीं होती! यही कारण है, राजा बनना तो दुर की बात है, उनकी छोटी छोटी समस्याओं का भी समाधान नहीं होता है।
जय भारत जय मूलनिवासी।
-डाॅ. प्रताप चाटसे

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