Monday, January 11, 2016

आरक्षण के सम्बन्ध में एक वीर रस गीत

आरक्षण के सम्बन्ध में एक वीर रस गीत

सुनो विरोधी आरक्षण के  याद दिलाने आये हैं  ।
आरक्षण है भीख नहीं हम तुम्हे बताने आये हैं ।।
सदियों से रक्खा है तुमने हमको झूठे वादों पर  ।
जग जाहिर अब हुवा तुम्हारा झूठ भाषण दलितों पर  ।1।
बाबा से   गांधी ने माँगा याद उसे भी कर लेना ।
पूना पेक्ट वाला समझौता आप उसे फिर पढ़ लेना । ।2।।
अलग देश थी मांग हमारी झूंठा हमको भरमाया ।
बात तुम्हारी मान गए थे बोलो हमने क्या पाया ।।3।।
बहुत सह लिया हमने अब तक आगे सहन नहीं होगा ।
हिन्दू धर्म की रक्षा खातिर अब बलिदान नहीं होगा ।।4।।
कर्माधार कहा था तुमने जन्माधार बना डाला ।
पशुओं से भी बदतर जीवन है दलितों का कर डाला ।।5।।
कुत्ता बिल्ली गाय गधा को  तुम पावन कहलाते हो ।
कामगार मेहनत कश लोगों को अछूत बतलाते हो ।।6।।
बड़े बड़े तुमको कहते थे बड़े नहीं तुम बन पाये ।
नहीं भर रहा पेट तुम्हारा हिस्सा मेरा भी खाये ।।7।।

होश में आओ आँखे खोलो अब विद्रोह बड़ा होगा ।
हर बहुजन साथ में होकर खड़ा सामने जब होगा ।।8।।
मिटे नाम हिन्दू भारत से परिवर्तन होने वाला ।
महास्वार्थी जागो वरना है अनर्थ होने वाला ।।9।।
पीड़ित समाज से
बिना दिए बलिदान बताओ कब आजादी मिल पायी
आगे बढ़ो छीन लो उनसे अब हिसाब पाई पाई ।।10।।
शर्म करो हे पच्चासी(85%) अब क्यों पंद्रह(15%) से हार रहे ।
दूध नहीं क्या पिया है मां का जो तुम पीछे देख रहे ।।11।।
अगर आज भी रहे जो सोते नहीं बचा कुछ पाओगे ।
आने वाली पीढ़ी को फिर कैसे मुह दिखलाओगे ।।12।।
        
जय भीम

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