Friday, January 8, 2016

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जातिवादी चेहरा एक बार पुनः बेनकाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड का जातिवादी चेहरा एक बार पुनः बेनकाब -----
साथियों दलितों -पिछड़ों की एकता अब धीरे - धीरे रंग ला रही है ।इसका एक उदाहरण लोकायुक्त चयन के मामले में सामने आया,जब मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता माननीय स्वामी प्रसाद मौर्या जी द्वारा न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह को लोकायुक्त नियुक्त करने पर सहमति बनी लेकिन मुख्य न्यायाधीश चन्द्रचूड (जो लखनऊ १५ गाड़ियों के साथ कई जजों को लेकर दबाव वनाने के लिए पहुंचा था ) न्यायमूर्ति संजय मिश्रा को लोकायुक्त बनाने पर अड़ा रहा ,देर रात तक कोई सहमति न वन पाने पर मुंख्यमंत्री और विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा ,फिर आप ही सरकार चलाइये ,आप ही विधायिका और कार्यपालिका का काम भी देखिये । चन्द्रचूड द्वारा संजय मिश्रा की सिफारिश को मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद द्वारा सिरे से खारिज कर दिया गया ।आज जब मामला सुप्रीमकोर्ट में सामने रखा गया तो ,माननीय सुप्रीमकोर्ट द्वारा मुख्य न्यायाधीश चन्द्रचूड को फटकार लगायी गयी कि आप न्यायपालिका की सीमाओं को लांघने का प्रयास वंद  करो और विधायिका व कार्यपालिका बनना बंद करो ।और यह भी कहा कि - जब विपक्ष के नेता और मुख्यमंत्री द्वारा न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह को लोकायुक्त वनाने की आपसी सहमति बन चुकी है तो मुख्य न्यायाधीश की सहमति या असहमति कोई मायने नहीं  रखती ।इसलिए वीरेन्द्र सिंह को लोकायुक्त नियुक्त किया जाय।

(इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दलितों -पिछड़ों के हितों के साथ समझौता न करने के लिए कोटि -कोटि धन्यवाद .....
ज्ञातव्य है कि न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह पिछड़े वर्ग से हैं )
बस ये तो शुरूआत भर है...........

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