Sunday, January 10, 2016

आरक्षित वर्ग के लोगों को हिंदुओं के किस ग्रन्थ में हिन्दू माना गया

मैं प्रबुद्ध विद्वानों से जानना चाहूँगा कि हम आरक्षित वर्ग के लोगों को हिंदुओं के किस ग्रन्थ में हिन्दू माना गया है? कृपया जिज्ञासु का ज्ञानवर्धन कर अनुग्रहित करें। मेरी जानकारी के अनुसार प्रथम तीन वेदों में तो दलितों का कोई उल्लेख सिर्फ इसीलिए नहीं किया गया क्योंकि दलितों के उल्लेख से वेद अपवित्र हो सकते थे। अतः फिर चौथे वेद को लिखा गया और उसमें जो बताया गया है, उसे यदि आप पढ़ ले तो आपको पता चलेगा कि हमें हिन्दू माना ही नहीं गया। हमें तो अछूत माना गया है और अछूतों को परिभाषित किया गया है कि इनको मारने पर, प्रताड़ित करने पर, इनको बेघर करने पर, इनका धन छीनने पर, इनकी महिलाओं के साथ व्यभिचार करने पर कोई दंड का प्रावधान नहीं होगा। ना दलित इनका विरोध करेगा। ना दलित की कोई सुनवाई होगी। दलितों की नवविवाहितों को शादी के तुरंत बाद कुछ दिन ब्राह्मणों के साथ ब्राह्मणों के घर में बिताने होंगे। ये वो ही हिन्दू थे जिनके वंशज आज उनके मतलब के लिए आपको हिन्दू बताते हैं, परन्तु जहाँ इनका स्वार्थ प्रभावित होता है तो ये ही हिन्दू आज भी इनकी पुरानी परंपरा अनुसार आपके आरक्षण का विरोध करते हैं, आपको मंदिर में प्रवेश करने पर मार देते है, मंदिर को अशुद्ध मानकर पुनः पवित्र करते हैं, फाँसी लगाकर मार देते है, पेट्रोल डालकर जलाकर मार देते हैं, जमीनों पर कब्ज़ा करने के लिए आपकी हत्या कर देते हैं, आपकी इज्जत को तार-तार कर देते हैं जो वर्तमान में भी लगातार जारी हैं। फिर हम, हम पर हो रहे अत्याचारों को पलभर में भूलकर हम इनकी तरफदारी क्यों करते हैं? क्या अब भी हम, हम पर हो रहे अत्याचारों को इनका पैतृक अधिकार मानते हैं? जब सांप्रदायिक झगडे की नौबत आए तो हमें हिन्दू मान लेते हैं और जब हमारे हक़ और अधिकारों की बात आए तो हमें अछूत मान लेते हैं। फिर भी हम ना समझे तो हम जानबूझ कर बाबा साहब की कड़ी मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। जब हमारे अधिकारों की बात आए तो हमें बाबा साहब याद आते है और जब धर्म की बात आए तो हम बाबा साहब के विरोधियों की गोद में बैठ जाते हैं। कृपया मौकापरस्त न बने। मेरी आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि जिसने हमें मान-सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया है, उस महामानव बाबा साहब के प्रति हमें आभारी रहना चाहिए। यदि आपको ज्ञान और मार्गदर्शन का प्रचार-प्रसार ही करना है तो आरक्षित वर्ग के लिए बाबा साहब की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करें। इसी में आपकी, आपके परिवार की, आपके समाज की और हमारी भलाई है। यह सन्देश आगे भेजने का काम वो ही करेगा जिसने बाबा साहब की मेहनत का फायदा जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर जीवनभर में किसी भी अवसर पर भले ही एक बार ही उठाया हो। वो निश्चित तौर पर बाबा साहब का ऋणी होगा और बाबा साहब को आदर्श मानेगा।💐💐💐💐🙏🙏🙏

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